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गुरु नानक जयंती का उत्सव और गुरु नानक जी की शिक्षाएं।

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गुरु नानक जयंती का उत्सव और गुरु नानक जी की शिक्षाएं।
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गुरु नानक जयंती का उत्सव और गुरु नानक जी की शिक्षाएं। गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब और प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। वे एक महान आध्यात्मिक शिक्षक, समाज सुधारक और मानवता के प्रेरक थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया और एकता और समानता का संदेश दिया 

गुरु नानक जी का जीवन और शिक्षाएं

गुरु नानक देव ने बाल्यकाल से ही अपनी अद्भुत बुद्धिमत्ता और करुणा से लोगों को चौंका दिया। उन्होंने सिख धर्म के सिद्धांतों को स्थापित किया, जिनमें “नाम जपना” (ईश्वर का स्मरण करना), “कीरत करना” (ईमानदारी से काम करना) और “वंड छकना” (संपत्ति को बाँट कर खाना) प्रमुख हैं। उनका संदेश था कि सभी मनुष्य एक समान हैं, चाहे उनका धर्म, जाति, या लिंग कुछ भी हो। उन्होंने भक्ति और सेवा को जीवन का मुख्य उद्देश्य बताया और यह भी समझाया कि ईश्वर एक है और हर व्यक्ति के भीतर मौजूद है ।

गुरु नानक जयंती का उत्सव

गुरु नानक जयंती के उत्सव में कई धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। यह पर्व तीन दिनों तक चलता है। इसमें सबसे पहले “अखंड पाठ” होता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का लगातार पाठ किया जाता है। पर्व के दूसरे दिन “नगर कीर्तन” निकाला जाता है, जिसमें सिख संगतें एक शोभायात्रा में कीर्तन करते हुए चलते हैं। इस यात्रा में पंज प्यारे (पाँच प्रिय जन) आगे रहते हैं, और सिख झंडे निशान साहिब को ऊँचा उठाए रखते हैं। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों और रोशनी से सजे एक विशेष पालकी में रखा जाता है 

लंगर की परंपरा

गुरु नानक जयंती पर लंगर का विशेष महत्व है। सभी गुरुद्वारों में सामूहिक भोज (लंगर) आयोजित किया जाता है, जिसमें हर जाति, धर्म और समाज के लोग बिना भेदभाव के भोजन करते हैं। यह गुरु नानक जी की समानता और सेवा के संदेश का प्रतीक है। लंगर में गुरुद्वारा साहिब के श्रद्धालु सेवा करते हैं, और सभी लोग मिलकर यह आयोजन सफल बनाते हैं ।

गुरु नानक जी की शिक्षाएं

गुरु नानक जी ने जीवनभर समाज को शिक्षित किया और प्रेम, सत्य और करुणा का प्रचार किया। उनके उपदेशों ने सामाजिक समानता, भाईचारे और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम धर्मों के बीच शांति और आपसी समझ के लिए कार्य किया। उनकी प्रमुख शिक्षाओं में एकेश्वरवाद, सामाजिक सुधार, और महिलाओं के प्रति समानता का भाव शामिल है 

गुरु नानक जयंती सिख समुदाय के लिए न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि एक प्रेरणादायक अवसर है, जिसमें वे गुरु नानक जी की शिक्षाओं को याद करते हैं और अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।

 

गुरु नानक जी की शिक्षाएं: मानवता का मार्गदर्शन

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे, जिनका संदेश सिर्फ सिख समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए था। उनकी शिक्षाएं प्रेम, समानता, करुणा और ईश्वर के प्रति भक्ति का संदेश देती हैं। उनके विचारों ने धार्मिक, सामाजिक, और नैतिक रूप से समाज में क्रांति ला दी। आइए, गुरु नानक जी की प्रमुख शिक्षाओं पर गहराई से विचार करें।

1. एक ईश्वर की उपासना (एक ओंकार)

गुरु नानक जी ने सिखाया कि ईश्वर एक है, और वह सभी जीवों में विद्यमान है। उन्होंने कहा कि ईश्वर को जाति, धर्म, या किसी रूप से नहीं बाँधा जा सकता। ईश्वर निराकार है, और उसे केवल प्रेम और भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। गुरु नानक ने अपने भजनों में कहा है, “ईश्वर सर्वशक्तिमान है और उसे हम अपने हृदय में महसूस कर सकते हैं।” यह शिक्षा धार्मिक एकता और समानता की भावना को बढ़ावा देती है।

2. नाम जपना (ईश्वर का स्मरण)

गुरु नानक जी ने “नाम जपना” पर विशेष जोर दिया, जिसका अर्थ है ईश्वर के नाम का स्मरण करना। उनका कहना था कि सत्संग (सच्चे साथ) में बैठकर और ईश्वर का नाम लेकर ही जीवन में शांति और मुक्ति पाई जा सकती है। ईश्वर का नाम जपने से आत्मा शुद्ध होती है, और मनुष्य अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है। गुरु जी ने यह भी कहा कि जीवन के हर क्षण में परमात्मा का नाम हमारे हृदय में बसा होना चाहिए।

3. कीरत करना (ईमानदारी से काम करना)

गुरु नानक जी ने कर्म को जीवन का मुख्य आधार बताया। उनकी शिक्षाओं में कहा गया है कि हर व्यक्ति को ईमानदारी से काम करना चाहिए और अपनी आजीविका मेहनत से अर्जित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परिश्रम से अर्जित धन में बरकत होती है और यह समाज में दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करता है। इसके साथ ही, उन्होंने भ्रष्टाचार, आलस्य और अनैतिक तरीकों से अर्जित धन की निंदा की।

4. वंड छकना (साझा करना)

गुरु नानक जी ने “वंड छकना” अर्थात अपने संसाधनों को दूसरों के साथ बाँटने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हमें प्राप्त होता है, वह ईश्वर की देन है, और हमें उसे जरूरतमंदों के साथ साझा करना चाहिए। लंगर की परंपरा गुरु नानक जी की इसी सोच का प्रतीक है। लंगर में सभी लोग एक साथ बैठकर बिना किसी भेदभाव के भोजन करते हैं, जो समता और सेवा भाव का आदर्श उदाहरण है।

5. समानता का संदेश

गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त जाति, धर्म, लिंग और सामाजिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं, और किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति, रंग या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए। गुरु नानक जी ने महिलाओं को विशेष सम्मान दिया और कहा कि महिलाएं पुरुषों के समान हैं। उनकी शिक्षाएं स्त्री और पुरुष दोनों के लिए बराबरी की पैरवी करती हैं।

6. सच्चाई और ईमानदारी

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए और अपने कार्यों में ईमानदारी बरतनी चाहिए। उनकी शिक्षाओं में कहा गया है कि सच्चाई जीवन का एक महत्वपूर्ण गुण है, जो आत्मिक उन्नति और समाज में अच्छे संबंध बनाने में मदद करता है। गुरु जी ने बताया कि सच्चाई से ही इंसान का जीवन उज्ज्वल बनता है, और यह जीवन की बुनियादी जरूरत है।

7. करुणा और दया

गुरु नानक जी ने सभी जीवों के प्रति करुणा और दया का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं जीवित प्राणियों के प्रति प्रेम और करुणा से भरी हैं। उनका कहना था कि हमें न केवल अपने परिवार और मित्रों से, बल्कि हर एक प्राणी से प्रेम और दया का भाव रखना चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति मानवीय संवेदना को भी दर्शाता है।

8. आडंबर और पाखंड का विरोध

गुरु नानक देव जी ने अंधविश्वास, धार्मिक पाखंड और बाहरी आडंबरों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर को बाहरी आडंबरों से नहीं बल्कि सच्चे हृदय से प्राप्त किया जा सकता है। वे कर्मकांड और दिखावे की पूजा-पद्धति के खिलाफ थे और उन्होंने सादगी और सच्ची भक्ति का समर्थन किया।

9. संतुलित जीवन और संयम

गुरु नानक जी ने संतुलित जीवन जीने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि मनुष्य को न तो अत्यधिक सांसारिकता में लिप्त होना चाहिए और न ही पूरी तरह से सांसारिक सुखों से दूर रहना चाहिए। संयम और मध्यम मार्ग का पालन करना ही सही जीवनशैली है।

10. निर्भय और निष्काम सेवा

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि भयमुक्त होकर जीवन जीना चाहिए और कभी भी असत्य का साथ नहीं देना चाहिए। उन्होंने लोगों को निडर और निष्काम सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि हमें निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करनी चाहिए, जो हमारे जीवन को सार्थक बनाता है।

गुरु नानक जी की शिक्षाओं का आधुनिक संदर्भ

आज के समय में, जब समाज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, गुरु नानक जी की शिक्षाएं और भी प्रासंगिक हो गई हैं। उनकी शिक्षा “सर्व धर्म समान” के सिद्धांत को अपनाने की प्रेरणा देती है, जो धार्मिक सहिष्णुता और शांति की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

गुरु नानक देव जी ने जो सीख दी है, वह केवल धार्मिक नहीं बल्कि मानवीय और नैतिक मूल्यों को सिखाने वाली है। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि सच्चा इंसान वही है जो अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाता है और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करता है। उनके संदेश आज भी हमारे जीवन को प्रकाशित करते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं।

गुरु नानक जी की शिक्षाओं का पालन करके हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं, जहाँ प्रेम, करुणा, और समानता का भाव हो। आइए, हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं और उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लें।

जय गुरुनानक देव जी की!

यह लेख गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को समझने का एक प्रयास है। अधिक जानकारी के लिए आप सिख धर्म से जुड़े आधिकारिक स्रोतों या गुरुद्वारों में संपर्क कर सकते हैं।


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